न करें नजरअंदाज, जीन में गड़बड़ी से पलटवार कर सकता है कैंसर
जानलेवा बीमारी कैंसर का नाम सुनते ही रूह कांप जाती है। हालांकि, समय से उपचार हो इस पर काबू भी पाया जा सकता है। लेकिन कैंसर ठीक होने के बाद भी सावधानी इसलिए जरूरी है कि उसके दोबारा होने का खतरा रहता है। ऐसा मरीज के जीन में गड़बड़ी और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण होता है। जीन में खामी के कारण एक ही परिवार के कई सदस्य कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे मामले सामने भी आए हैं।
केस एक
बस्ती की रहने वाली 52 वर्ष की महिला के जीवन में कैंसर अभिशाप बन गया है। करीब पांच साल पहले उसकी तबीयत खराब हुई। परिजन उसे लेकर हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल पहुंचे। जांच में किडनी में कैंसर निकला। चार साल पहले महिला की किडनी का ऑपरेशन हुआ। सालभर पूर्व एक बार फिर उसकी तबीयत बिगड़ी। वह दोबारा कैंसर अस्पताल पहुंची। जांच में उसकी बच्चेदानी में कैंसर की तस्दीक हुई। चार महीने पूर्व ऑपरेशन कर बच्चेदानी निकाली गई।
केस दो-
फैजाबाद की रहने वाली दो बहनें स्तन कैंसर से जूझ रही हैं। सबसे पहले बड़ी बहन को यह बीमारी हुई। करीब दो साल पहले उसकी छोटी बहन पहली बार उसे इलाज के लिए पोद्दार अस्पताल लेकर पहुंची। एक साल तक इलाज चला। इस दौरान रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी दी गई। इलाज पूरा होने के कुछ दिन बाद छोटी बहन के स्तन में गांठ की शिकायत हुई। जांच में उसमें भी कैंसर की तस्दीक हुई। अब छोटी बहन का इलाज चल रहा है।
50 फीसदी मामलों में दोबारा होता है स्तन कैंसर
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग सिंह के अनुसार कैंसर में सबसे ज्यादा पलटवार स्तन कैंसर के मामलों में होता है। स्तन कैंसर के करीब 50 फीसदी मामलों में महिला को दोबारा कैंसर होने का खतरा रहता है। इसकी एक वजह इम्युनिटी कमजोर होना भी है। रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी से भी इम्युनिटी पर असर पड़ता है।
एपीसी और ब्रेका जीन के कारण दोबारा होता है कैंसर
पोद्दार अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि जीन में गड़बड़ी के कारण के कैंसर होने की आशंका करीब 70 फीसदी है। विदेशों में हुए शोध में यह साफ हो गया है डीएनए में पाए जाने वाले जीन ब्रेका-एक, ब्रेका-दो और एपीसी के कारण कैंसर के दोबारा और बार-बार होने का खतरा होता है। गंभीर बात यह है कि यह जीन भावी पीढ़ियों में भी मिलता है। यही वजह है कि अगर नानी, मां या बहन को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है तो महिला को ब्रेस्ट कैंसर जीन टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
कारण
तम्बाकू या गुटखा के सेवन से
अत्यधिक शराब सेवन से
हेपेटाइटिस बी और सी से
आनुवांशिक कारण
इन्फेक्शन से
आधुनिक जीवनशैली के कारण
लक्षण
-मुंह खोलने, चबाने या निगलने में दिक्कत हो रही हो
- लगातार कब्ज रहता हो
- तीन हफ्ते या ज्यादा से एसिडिटी बनी हो
- तीन हफ्ते से ज्यादा लंबे समय से खांसी हो
- जख्म तीन हफ्ते से ज्यादा वक्त से भरा नहीं हो
- बार-बार बुखार हो रहा हो
- हीमोग्लोबिन बेहद कम हो
- शरीर में गांठ हो और वह बढ़ रही हो
- बलगम, पेशाब, शौच या पीरियड्स के बीच में बार-बार खून आ रहा हो
- आवाज में बदलाव हो
इस साल से शुरू होगा एम्स में कैंसर का इलाज
पूर्वांचल में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत की खबर है। कैंसर के मरीजों को अब एम्स में इलाज मिलेगा। शनिवार को एम्स के रेडियोथेरेपी (कैंसर रोग) विभाग में पहले शिक्षक ने ज्वाइन किया। इस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर डॉ. शशांक शेखर ने शनिवार को ज्वाइन कर लिया। बताया जाता है कि मार्च तक कैंसर रोग विभाग में ओपीडी शुरू हो जाएगी।
होम्योपैथिक विधा से होता है इलाज
होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. रूप कुमार बनर्जी ने बताया कि शरीर में कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि को ही कैंसर कहते हैं। विश्व में मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक है। कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। होम्योपैथी से कैंसर को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। यह बिना किसी तकलीफ के रोग को ठीक करने वाला उपचार होता है। होम्योपथी में कैंसर के लिए बहुत सारी दवाए हैं l
अवसाद से जूझ रहे हैं कैंसर पीड़ित
कैंसर के मरीज अवसाद से भी जूझ रहे हैं। इसके कारण उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ रहा है। यह कहना है बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सक डॉ. प्रभात अग्रवाल का। उन्होंने बताया कि कैंसर का पता चलते ही मरीज के दिलो-दिमाग पर एक जानलेवा बीमारी का भय छा जाता है। इसके कारण वह अवसाद में चला जाता है। उसे असहनीय दर्द होता है। नींद कम आती है। मन बेचैन रहता है। काम में मन नहीं लगता है। कैंसर से जूझ रहे 10 फीसदी मरीज गहरे अवसाद में चले जाते हैं। ऐसे मरीजों को कैंसर के साथ मनोचिकित्सक के इलाज व काउंसलिंग की जरूरत होती है।